Mughal Empire History in Hindi | मुग़ल साम्राज्य का इतिहास | Mugal Kal History | Mughal Vansh
बाबर :- मुग़ल वंश के पूर्व भारत की सत्ता लोदी वंश के पास थी। मुग़ल वंश का संस्थापक बाबर था। बाबर का वास्तविक नाम जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर था। बाबर का जन्म 14 फरवरी, 1483 को फ़रगना में हुआ था। 8 जून, 1494 ई को बाबर फरगना का शासक नियुक्त हुआ। बाबर ने पांच बार भारत पर चढ़ाई किया। पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पहले बार तोपों का इस्तेमाल किया।
पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर की विजय का मुख्य कारण तोपखाना का प्रयोग था। बाबर 27 अप्रैल, 1526 ई को दिल्ली की गद्दी पर बैठा। खनवा का युद्ध 16 मार्च 1527 ई को बाबर और राणा सांगा के बीच हुई। 20 जनवरी, 1528 ई को बाबर और मेदिनी राय के बीच चंदेरी का युद्ध हुआ, जिसमे मेदिनी राय की हर हुई।
5 मई, 1529 ई को बाबर और अफगानों के बिच घाघरा का युद्ध हुआ। 26 दिसंबर, 1530 ई को बाबर की मृत्यु हो गई। प्रारम्भ में उसके शव को आगरा के आराम बाग (चारबाग) में दफना दिया गया। बाद में शेरशाह के शासनकाल के दौरान बाबर की अस्थियों को काबुल के उधान में दफनाया गया। बाबर की प्रमुख रचना “तुजुके बाबरी” तथा “बाबरनामा” ग्रन्थ तुर्की भाषा में हैं।
बाबर का उत्तराधिकारी हुमायूँ था। हुमायूँ का वास्तविक नाम नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ था। हुमायूँ का जन्म 6 मार्च, 1508 ई को काबुल में हुआ था। 30 दिसम्बर, 1530 ई को हुमायूँ गद्दी पर बैठा। 26 जून, 1539 ई को शेर खा और हुमायूँ के बीच चौसा का युद्ध हुआ। 17 मई, 1540 ई को बिलग्राम का युद्ध शेर खाँ और हुमायूँ के बीच हुआ।
हुमायूँनामा नामक पुस्तक की रचना गुलबदन बेगम ने की। 24 जनवरी, 1556 ई को हुमायूँ की मृत्यु दीनपनाह भवन में स्थित पुस्तकालयों की सीढ़ियों से गिरने के कारण हुई। दिल्ली का दीनपनाह नामक महल, आगरा और हिंसार की मस्जिद हुमायूँ की महत्वपूर्ण कृति हैं।
शेरशाह :- हुमायूँ को पराजित करके भारतीय सत्ता शेरशाह ने छीन ली। शेरशाह के बचपन का नाम फरीद खाँ था। इनका जन्म 1486 ई को हिसार फिरोजा में हुआ। शेरशाह सुर वंश का था। कन्नौज के युद्ध के बाद शेर खाँ दिल्ली की गद्दी पर बैठा। दिल्ली की गद्दी पर बैठने के बाद शेर खाँ को शेरशाह की उपाधि मिली। शेरशाह का सम्राज्य 47 ईक्तो में बाँटा था।
सर्वप्रथम डाक प्रथा शेरशाह ने चलाई। इसने 1545 ई में किला-ए-कुहना नामक मस्जिद का निर्माण कराया। शेरशाह का मकबरा सासाराम में हैं। देश की सारी भूमि का सर्वप्रथम सर्वेक्षण शेरशाह ने करवाई। सर्वेक्षण की प्रणाली को ‘गजे सिकन्दरी’ कहा जाता था। इसने कबूलियत तथा पट्टा की प्रथा चलाई। ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण इसी ने करवाई।
22 मई, 1545 ई को कालिंजर के बारूद खाने में आग लग जाने के कारन शेरशाह की मृत्यु हो गई। मालिक मुहम्मद जायसी, शेरशाह के समकालीन थे।
मुग़ल वंश :- हुमायूँ का उत्तराधिकारी अकबर था। अकबर का वास्तविक नाम जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर था। अकबर का जन्म 15 अक्टूबर, 1542 ई को अमरकोट में हुआ था। अकबर का राज्याभिषेक पंजाब के कलानौर नामक स्थान में हुआ। बैरम खाँ अकबर का संरक्षक था। पानीपत की दूसरी लड़ाई अकबर और हेमू के बीच 5 नवंबर, 1556 ई को हुई।
हल्दीघाटी का युद्ध 1576 ई को अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुई। 1597 ई को महाराणा प्रताप की मृत्यु हुई। अकबर का सेनापति मानसिंह था। इसने ‘जब्ती प्रणाली’ चलाया। अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था। इसने मनसबदारी प्रथा चलाई तथा जजिया कर का अंत किया। 1581 ई में अकबर ने दीन-ए-इलाही धर्म को चलाया।
अकबर की दूसरी राजधानी फतेहपुर सिकरी थी। अकबर के दरबार के नवरत्न थे – अबुल फजल, फैजी, टोडरमल, मानसिंह, अब्दुर्रहीम, खान-ए-खाना, बीरबल, तानसेन, हकीम हुकाम तथा मुल्ला दो प्याजा। आगरा और दिल्ली में अकबर का दरबार लगता था। इसने आगरे का किला, बुलंद दरवाजा, हुमायूँ का मकबरा, फतेहपुर सिकरी का शीशमहल, दीवाने खास आदि का निर्माण करवाया।
25-26 अक्टूबर 1605 ई को अकबर की मृत्यु हुई। शेख सलीम चिश्ती अकबर के समकालीन प्रसिद्ध सूती संत थे। सिकंदराबाद के पास अकबर को दफनाया गया। अकबर का उत्तराधिकारी जहाँगीर था। जहाँगीर के बचपन का नाम सलीम था, जिसने 1605 ई में गद्दी पर बैठा।
30 अगस्त, 1569 ई को जहाँगीर का जन्म हुआ था। न्याय की जंजीर जहाँगीर के दरबार में थी। “तुजुके जहागिरी” जहाँगीर की प्रसिद्ध पुस्तक है। जहाँगीर ने 1611 ई में नूरजहाँ से शादी किया। नूरजहाँ का वास्तविक नाम मेहरुनिशा था। लाडली बेगम मेहरुनिशा की पुत्री थी।
18 फरवरी, 1648 ई को नूरजहाँ की मृत्यु हो गई। कश्मीर का शालीमार बाग़ जहाँगीर ने लगवाया। जहाँगीर की सेनापति महावत खाँ था। जहाँगीर के काल में ही सर टॉमस रो भारत आया था। 1627 ई को जहाँगीर की मृत्यु हो गई।
जहाँगीर के बाद शाहजहा राज्य सिंहासन पर बैठा। शाहजहाँ के बचपन का नाम खुर्रम था। 5 जनवरी, 1592 ई को लाहौर में खुर्रम का जन्म हुआ। शाहजहाँ की शादी मुमताज़ बेगम के साथ हो गई। 24 फरवरी, 1628 ई को शाहजहाँ का राज्यारोहण हुआ। मयूर सिंहासन शाहजहाँ ने ही बनवाया। मुमताज बेगम की मृत्यु 7 जून, 1631 ई को हुई। अपनी बेगम मुमताज महल की याद में शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण करवाया।
शाहजहाँ को 18 जून, 1658 ई को औरंगजेब ने बंदी बनाया। शाहजहाँ के काल को मुग़ल काल का स्वर्ण युग कहा जाता है। 22 फरवरी, 1666 ई को शाहजहाँ की मृत्यु हुई। ताजमहल में शाहजहाँ को दफनाया गया।
आगरे का ताजमहल, दिल्ली का जमा मस्जिद, मोती मस्जिद, दिल्ली का लाल किला, मयूर सिंहासन आदि शाहजहाँ की महत्वपूर्ण कृति हैं।
3 नवंबर, 1618 ई को उज्जैन के निकट दोहद नामक स्थान में औरंगजेब का जन्म हुआ था। औरंगजेब का वास्तविक नाम मुइउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब था। 1636 ई में औरंगजेब को दक्षिण भारत का सूबेदार नियुक्त किया गया। 31 जुलाई, 1658 ई को औरंगजेब सम्राट बना तथा यह 50 वर्षो तक शासन किया। औरंगजेब को जिन्दा पीर कहा जाता था। यह सुन्नी धर्मो को मानता था। औरंगजेब ने गुरु गोविन्द सिंह के दो पुत्रो को जिन्दा दीवार में चुनवा दिया था। 1679 ई को इसने जजिया कर को फिर से लागु किया।
गुरु तेग बहादुर की हत्या औरंगजेब ने करवा दी। इसने झरोखा दर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया। औरंगजेब 25 वर्षो का अपना समय दक्षिण के राज्यों को अपने कब्जे में करने पर व्यतीत किया, जो इस वंश का पतन का कारन बना।
मराठा साम्राज्य :- मराठा साम्राज्य का संस्थापक शिवाजी था। शिवजी का जन्म शिवनेर के दुर्ग में 20 अप्रैल, 1627 ई को हुआ। शिवाजी का राज्याभिषेक 1674 ई में हुआ। शिवाजी के मंत्रिमंडल को अष्टप्रधान के नाम से जाना जाता था। 22 जून, 1665 ई में पुरन्दर की संधि शिवाजी और जय सिंह के बीच हुई। इसने चौथा और सरदेशमुखी प्रथा चलाई थी। शिवाजी की राजधानी रायगढ़ थी। शिवाजी की मृत्यु 14 अप्रैल, 1680 ई में हुई। इनका उत्तराधिकारी शम्भाजी था।
मुग़ल साम्राज्य का विघटन :- औरंगजेब के पुत्रो के बीच उत्तराधिकारी का युद्ध 1707 ई में हुआ। इस युद्ध में मुअज्जम को सफलता मिली। दिल्ली पर अधिकार करने के बाद अपने को बहादुरशाह के नाम से घोषित किया। उत्तराधिकारी के युद्ध में बहादुरशाह का साथ गुरु गोविन्द सिंह ने दिया। मयूर सिंहासन पर बैठने वाला अंतिम मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह था। नादिरशाह ने 1739 ई में दिल्ली पर आक्रमण किया। 1857 की क्रांति के पश्चात अंग्रेजो ने बहादुरशाह जफर को बंदी बनाकर रंगून भेज दिया। रंगून के जेल में ही उसकी मृत्यु हुई।