दोस्तों हमने आपको पहले ही मुहावरे के बारे में बताया है और आज के पोस्ट में हम आपको कुछ प्रसिद्ध लोकोक्तियाँ के बारे में बातएंगे। लोकोक्तियाँ (Lokoktiyan) अपने आप में एक महत्वपूर्ण विषय है, प्रतियोगिग परीक्षाओ के लिए क्योकि अक्सर पुलिस, आर्मी, एसएससी आदि जैसे एग्जाम में इससे जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।
लोकोक्तियाँ को आमतौर पर ‘कहावत’ भी कहते है, जिसका मतलब होता है पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में कहना। लोकोक्तियाँ का प्रचलन शहरो से अधिक गावो नगरों में किया जाता हैं। कुछ लोकोक्तियाँ इतने प्रसिद्ध होते है की हर कोई उनके बारे में जनता है और अपने वार्तालाप में इस्तेमाल भी करता है।
जैसे की – सारे साल तुम मस्ती मारते रहे, अध्यापकों और अभिभावक की एक न सुनी। अब बैठकर रो रहे हो, ठीक ही कहा गया है- अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।
लोकोक्तियाँ का अर्थ क्या है?
लोकोक्ति’ शब्द ‘लोक + उक्ति’ शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- लोक में प्रचलित कथन’।
तो आइये कुछ प्रसिद्ध लोकोक्तियाँ (Famous Lokoktiyan) के बारे में जानते है, उनके अर्थ और प्रयोग को समझते है।
Lokoktiyan in Hindi (लोकोक्तियाँ इन हिंदी)
प्रसिद्ध लोकोक्तियाँ | लोकोक्तियाँ का अर्थ | लोकोक्तियाँ का प्रयोग |
अक्ल बड़ी या भैस
akal badi ya bhains |
शरीर की उपेक्षा बृद्धि अधिक होती हैं। | मोहन मोटा तगड़ा लड़का है, लेकिन पढ़ने में कमजोर है। इसलिए गुरु जी उसे सदैव कहते है, अक्ल बड़ी या भैस। |
अंत भले का भला
ant bhale ka bhala |
अच्छाई के बदले अच्छाई मिलती है। | रमेश के पिता सच्चे ईमानदार होने के कारण सदैव सुखी रहते है क्योकि अंत भले का भलाहोता है। |
अधजल गगरी छलकत जाए
adhjal gagari chhalkat jaye |
ओछा मनुष्य अधिक इतराता हैं। | दीपक दसवीं फेल है, लेकिन डिंग मरता रहता है, की बी. ए. पास है क्योकि अधजल गगरी छलकत जाए। |
आम के आम गुठली के दाम
aam ke aam guthliyon ke dam |
दोहरा लाभ | अच्छे लड़के अपनी पुस्तके पास होने पर बेच देते है इसे कहते है आम के आम गुठली के दाम। |
अन्धो में काना राजा
andho mein kana raja |
मूर्खो में थोड़ा ज्ञान वाला भीं सम्मान पता हैं। | दिनेश के गांव में सभी लोग अनपढ़ है इसलिए लोग उसका बड़ा सम्मान करते है। |
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
akela chana bhad nahin padta |
एक व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता। | यदि हम अपने कामों में दुसरो का सहयोग नहीं लेते हैं। तो हम सफल नहीं होते है, क्योकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है। |
आँख का अन्धा नाम नयन सुख
aakh ka andha naam nayn sukh |
गुणों के विरुद्ध नाम होना। | हमारी कक्षा का होशियार सिंह पढ़ने में बुध्दू है। ठीक ही कहा है आँख का अन्धा नाम नयन सुख। |
अंधेर नगरी चौपट राजा
andher nagri chaupat raja |
अयोग्य शासक का कुप्रशासन। | आजकल के स्वार्थी नेता वोटों की राजनीती खेलते है। इसलिए जनता बड़ी दुखी रहती है। ठीक ही कहा है अंधेर नगरी चौपट राजा। |
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
ulta chor kotwal ko dante |
अपराधी द्वारा रक्षक को धमकाना। | सुरेश स्कूल से भागता है, लेकिन अध्यापक के मना करने पर लड़ने लगता है। जैसे उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे। |
ऊंट के मुँह में जीरा
ut ke muh me jeera |
शरीर के अनुसार चीज न होना। | एक पहलवान के नास्ते में एक अण्डा ऊंट के मुँह में जीरा के सामान हैं। |
काला अक्षर भैस बराबर
kala akshar bhains barabar |
अनपढ़। | हेमू एक मजदुर है, उसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है। |
खोदा पहाड़ निकला चुहिया
khoda pahad nikli chuhiya |
अधिक मेहनत, कम लाभ। | रामु की सारे दिन की मेहनत पाँच रुपय हुई। इसे कहते है खोदा पहाड़ निकली चुहिया। |
ऊंची दुकान फीका पकवान
uchi dukan fika pakwan |
दिखावे के अनुरूप वस्तु न होना। | आजकल के दुकानदार वस्तु घटिया होने पर भी सजावट व दिखावा जोरदार करते है। इसी को कहते है ऊंची दुकान फीकी पकवान। |
एक अनार सौ बीमार
ek anar sau bimar |
वस्तु थोड़ी, चाहने वाले अधिक। | आजकल चुनावों में एक सीट के लिए सैकड़ो नेता खड़े हो जाते हैं। इसे कहते है एक अनार सौ बीमार। |
एक पंथ से दो काज
ek panth do kaaj |
एक साधन से दो काम होना। | मैं प्राय: रोज दूध लेने जाता हूँ, जिससे प्रात; कालीन भ्र्मण का लाभ भी होता है ये मेरे एक पंथ दो काज हैं। |
एक हाथ से ताली नहीं बजती है
ek haath se taali nahi bajti |
एक तरफ से झगड़ा शुरू नहीं होता। | राम और श्याम की लड़ाई होने पर वे एक दूसरे पर दोष दे रहे थे। तब मैंने कहाँ एक हाथ से ताली नहीं बजती हैं। |
एक मछली सरे तालाब को गन्दा करती है
Ek machli poore talab ko ganda kar deti hai |
एक बुरे के कारण सब बुरे बन जाते है। | हमारी कक्षा में एक लड़का चोरी करता है, उसके कारण सारी कक्षा बदनाम हो रही है क्योकि एक मछली सरे तालाब को गन्दा करती हैं। |
कंगाली में आटा गिला
kangali me aata gila |
मुसीबतों में और मुसीबत आना। | रमेश के पास कपड़े नहीं थे। स्कूल से वर्दी मिली लेकिन खेलने में वह भी फैट गई। वास्तव में कंगाली में आटा गिला है। |
कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली
kaha raja bhoj kaha gangu teli |
दो व्यक्तियों की स्तिथि में बहुत अंतर। | एक लड़के की तुलना अध्यापक से नहीं की जा सकती है कहा राजा भोज, कहा गंगू तेली। |
घर का भेदी लंका ढाए
ghar ka bhedi lanka dhaye |
फुट विनाश का कारण बनती हैं। | हमारे देश के कुछ लोग पाकिस्तान से मिले रहते है। जिससे यहाँ दंगे आदि होते रहते है। सही कहा है घर का भेदी लंका ढाए। |
घर की मुर्गी दाल बराबर
ghar ki murgi daal barabar |
आसनी से प्राप्त वस्तु का कम महत्व । | नरेश की बुक सेलर की दुकान है। इसलिए उसके पास बहुत पैन रहते है क्योकि घर की मुर्गी दाल बराबर होती है। |
चार दिनों की चांदनी फिर अँधेरी रात
chaar din ki chandni fir andheri raat |
थोड़े समय का सुख। | मनुष्य को धन व जवानी पर अभिमान नहीं करना चाहिए। यह जीवन चार दिन की चांदनी फिर वही अँधेरी रात हैं। |
चोर की दाढ़ी में तिनका
chor ki dadhi me tinka |
अपने पाप से डरना। | मोहन ने एक लड़के की कॉपी चुराई। अध्यापक के कक्षा में आने पर ही वह कहने लगा मैंने कॉपी नहीं चुराई। सबको उसी पर शक हो गया क्योकि चोर की दाढ़ी में तिनका। |
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
chamdi jaye par damdi na jaye |
कंजूस व्यक्ति कष्ट सहन कर लेता है। | सेठ जी रोजाना रिक्शे में न जाकर पैदल दुकान पर जाते है इसलिए सही कहा है चमड़ी जाये पर दमरी न जाये। |
छोटा मुँह और बड़ी बात
chota muh badi baat |
अपनी योग्यता से बढ़कर बात करना। | मोहन प्रधानचार्य के सामने बड़ी-बड़ी बाते बोलना लगा, इसको कहते है छोटा मुँह बड़ी बात। |
जल में रह कर मगर से बैर
jal me rahkar magar se bair |
आश्रय दाता से बैर। | विधालय में प्रधानचार्य से झगड़ना जल से रहकर मगर से बैर की तरह है। |
जो गरजते है वो बरसते नहीं है
jo garajte hain baraste nahi |
डींग मारने वाले काम नहीं करते। | रमेश बाहर दोस्तों में प्रथम श्रेणी में पास होने का दवा कर रहा था लेकिन बेचारा फ़ैल हो गया। सत्य कहा है जो गरजते है वह बरसते नहीं। |
जिसकी लाठी उसकी भैस
jiski lathi uski bhains |
बलवान की जीत होती हैं। | राशन की दुकान पर गुंडे लोग बिना लाइन का राशन लेते है यह सत्य कहा है जिसकी लाठी उसकी भैस। |
थोथा चना बजे घना
thotha chana baje ghana |
थोड़े गुण वाला व्यक्ति अधिक घमंड करता हैं | मुरारी लाल थोड़ी सी पूंजी पर इतना इतराता है की उद्योगपतियों की तरह बाटे करता है क्योकि थोथा चना बाजे घना। |
धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का
dhobi ka kutta na ghar ka na ghat ka |
दो तरफ का आदमी कही का नहीं रहता। | रमेश ने नौकरी के लिए पढाई भी छोड़ दी और अब नौकरी भी नहीं रही यही तो है धोबी का कुत्ता न घर का घाट का। |
दूध का जला छाछ फुक फुक कर पिता है
doodh ka jala chach fuk fuk kar pita hai |
एक बार नुकसान होने पर सर्तक रहना। | बस में मेरी एक बार जेब काटने पर मै अब हर समय जेब का ध्यान रखता हूँ क्योकि दूध का जला छाछ फुक फुक कर पिता है। |
जैसी करनी वैसी भरनी
jaisi karni waisi bharni |
जो जैसा करता है, वैसा ही उसको फल भी मिलता है। | राहुल दिन रात मेहनत करके प्रथम श्रेणी हो गया। इसी को कहते है जैसी करनी वैसी भरनी। |
हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा होय
hing lage na fitkari |
बिना पैसे लगाए लाभ प्राप्त करना। | मोहन को उसकी लगन व मेहनत का पुरस्कार दिया गया और साथ में दस रुपय मुझे भी मिल गए मेरे लिए तो हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा होय। |
हाथ कंगन को आरसी क्या
hath kangan ko aarsi kya |
प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकत नहीं। | आप मेरी सम्पूर्ण पुस्तके देख सकते हैं मैं सब यहॉं लाया हूँ तो हाथ कंगन को आरसी क्या? |
बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद
bandar kya jaane adrak ka swad |
मूर्खो को गुणों की पहचान नहीं। | दुर्जन व्यक्ति को कितनी ही ज्ञान की बाते समझा लो। लेकिन वह नहीं समझता है क्योकि बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद। |
बहती गंगा में हाथ धोना
bahti ganga mein hath dhona |
अवसर का लाभ उठाना। | कल गुरु जी परीक्षा के महत्वपूर्ण प्रश्नो को बताएंगे तो तुम भी आकर बहती गंगा में हाथ धो लेना। |
भूखे भजन न होए गोपाल
bhukhe bhajan na hoi gopala |
खली पेट कुछ न कर पाना। | यदि हमसे कोई कहे की बिना खाय पढ़ाई करते रहो, तो या असंभव है। सही कहा है भूखे भजन न होये गोपाल। |
मुँह में राम-राम बगल में छुरी
muh mein ram ram bagal mein churi |
बाहर से सज्जन अंदर से कपटी। | आज कल के नेता चिकनी चपड़ी बाते करते है। उनकी तो मुँह मे राम-राम बगल छुरी वाली बात है। |
लातो के भुत बातो से नहीं मानते हैं
laaton ke bhoot baaton se nahi mante |
कई लोग दंड देने पर भी वश में नहीं आते है। | बिना पिटाई किए कई लड़के गृह कार्य कर के नहीं लाते क्योकि लातो के भुत बातो से नहीं मानते हैं। |
साँप मरे लाठी न टूटे
saap mare lathi bhi na toote |
बिना नुकसान के काम बन जाना। | छात्रों की हड़ताल पर प्रधानाचार्य ने कहा की ऐसा कदम उठाया जाए जिससे साँप मरे पर लाठी न टूटे। |
सावन हरे न भादो सूखा
na sawan hare na bhado sukha |
सदा एक जैसा रहना। | बड़े लोगों की सदा एक जैसी हालत रहती है, उनके लिए सावन हरे न भादो सूखा। |
पाँचो अंगुली घी में होना
pancho ungli ghee me hona |
आराम से समय गुजरना। | मोहन के पिता जी की पाँचो अँगुली घी में है क्योकि उनके सभी लड़के सरकारी नौकरी पर है। |
नाच न जाने आगँन टेढ़ा
nach na jane angan tedha |
गुण न होने पर बहाना बनाना। | दर्जी ने कोट की सिलाई बिगाड़ दी लेकिन दोष देता है की कपड़ा ख़राब था इसे कहते है नाच न जाने आगँन टेढ़ा। |
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