How to Write Dialogue Writing? And What is Dialogue?: संवाद लेखन कैसे लिखते है? और संवाद होता क्या है ?

आपको पता ही है की आप अपने दोस्त के साथ कितनी ही बार ठाके मरते होंगे उनके साथ गपे भी लगते होंगे। कभी-कभी दोस्तों से बात करते हुए आप लोग ने बड़े-बड़े डायलॉग भी मारे होंगे और एक्टिंग भी साथ-ही साथ करी ही होगी, पर उस वक्त आपको ये नहीं समझ होगी कि जो डायलॉग आप अपने दोस्तों से बोल रहे हैं उसे आखिर बोलते क्या होंगे?

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जो वार्तालाप आप अपने दोस्त से कर रहे हो उसका आखिर मतलब क्या होता है? और न ही आपको यह पता होगा की अच्छी संवाद-रचना करते समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक होना चाहिए?

आज हम आपको अच्छे संवाद-लेखन(Dialogue Writing)की क्या क्या विशेषताएँ होती है यह समझायेंगे? संवाद लेखन भी व्याकरण का ही एक अंग है, और यह कक्षा दसवीं तक की कक्षाओं की परीक्षाओं में अधिकतर बार पूछा जा चूका है।

आज हम आपको संवाद लेखन का बारे मे बताने बाले है की आखिर संवाद लेखन होता क्या है और इसे लिखते कैसे है। संवाद लेखन मे होने वाली परेशानियों को आज हम दूर करने की कोशिस करेंगे और आपको कुछ उद्धरण के जरिये संवाद लेखन के बारे मे समझायेंगे।

Dialogue Writing

 

आखिर संवाद लेखन(Dialogue Writing) कहते किसे है?

संवाद लेखन(Dialogue Writing) का अर्थ: आपको बता दे की संवाद मे ‘वाद’ मूल शब्द है और उसमे ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से ही ‘संवाद’ शब्द का निर्माण हुआ है, जिसके अर्थ की बात करे तो इसका अर्थ ‘बातचीत करना’ ही होता है।

दो या दो से ज्यादा लोगों के बीच होने वाले वार्तालाप कहो या सम्भाषण को ही संवाद कहा जाता हैं। दूसरे शब्दों में बात करे तो संवाद का सामान्य अर्थ ही बातचीत करना होता है। आपको को बता दे संवाद के लिए इसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति का होना जरुरी होता है, संवाद मे हमेशा ही अपने भावों और विचारों को व्यक्त किया जाता है इसलिए हमेशा ही बात करते वक़्त संवाद की मदद ली जाती है।

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संवाद लेखन(Dialogue Writing) की डेफिनेशन

आपको बता दू की जानकारी के मुताबिक तो दो या दो से ज्यादा लोगों के बीच होने वाले वार्तालाप को ही जब लिखा जाता है तो वउसी को संवाद कहते है। संवाद लेखन भी कोई प्रकार के होता है ये या तो काल्पनिक संवाद हो सकता है या फिर वास्तविक संवाद भी हो सकते है। वैसे देखा जाये तो भाषाकोई प्रकार की होती है लकिन ये बोलने वाले पर निर्भर करता है।

उदाहरण के लिए: आपने हमेशा ही अध्यापक को बात करते हुए देखा होगा और ये भी नोटिस किया होगा की अध्यापक की भाषा छात्र की भाषा के अपेक्षा ज्यादा संतुलित होती है और साथ-ही-साथ अर्थपूर्ण भी होती है।

आपने पुलिस अधिकारी और अपराधी के भाषा मे भी काफी कुछ नोटिस किया होगा की दोनों की भाषा के दूर के बिलकुल ही अपोजिट होती है यानि काफी बड़ा अंतर होता है दोनों की भाषा मे।

इसी तरह ही अगर दो मित्रो की बात करे तो उनकी भाषा मे भी बोलने का तरीका काफी जायदा अलग होता है और महिलाओ की तो भाषा सब से हट कर ही होती है। अब तक तो आपको यह समझ आ ही गया होगा की संवाद लेखन में भी पात्रों के लिंग, और उम्र, साथ-ही-साथ कार्य, और उसकी स्थिति का भी ध्यान रखना आवश्यक है।

संवाद लेखन(Dialogue Writing) का फॉर्मेट क्या होता है

जानकारी के मुताबिक तो इसमें हमें बेसिकाली इन बातों पर भी सबसे ज्यादा ही ध्यान देना चाहिए कि वाक्य की रचना भी सजीव हो, साथ-ही-साथ भाषा भी सरल हो, संवाद मे कठिन शब्दों का प्रयोग कम-से-कम ही करे, संवाद लिखते वक़्त वाक्य पर ध्यान दे की वाक्ये काफी ज्यादा ही बड़े न हों, संवाद का संक्षिप्त होना

और-तो-और प्रभावशाली होन भी जरुरी है, अगर आप मुहावरे का इस्तेमाल करते है तो मुहावरेदार भाषा भी काफी रोचक लगते है संवाद के अंदर लकिन मुहावरे का सही इस्तेमाल करना आपको आना चाहिए।

संवाद लेखन(Dialogue Writing) के प्रकार

संवाद लेखन(Dialogue Writing) के चार प्रकार ही होते हैं:-

  • सामान्य संवाद(Dialogue Writing)
  • औपचारिक कार्य व्यापार के लिए संवाद(Dialogue Writing)
  • विचार व्यक्त करने वाले संवाद(Dialogue Writing)
  • भावनाएं व्यक्त करने वाली संवाद(Dialogue Writing)

अब अगर बात करे की अच्छी संवाद-रचना करते वक़्त किन बातो का ध्यान रखना चाहिए तो ?

संवाद लेखन करते वक़्त कुछ महतवपूरण बातो का ध्यान रखना चाहिए :-

  1. संवाद लेखन करते वक़्त संवाद को हमेशा ही छोटा, साथ-ही-साथ सहज और स्वाभाविक रखना आवश्यक है।
  2. संवादों में हमेशा ही रोचकता, साथ-ही-साथ मनोरंजकता और सरसता होनी चाहिए।
  3. संवाद लेखन की भाषा सरल, स्वाभाविक और बोलचाल के मे ठीक होनी चाहिए।
  4. इसमें ध्यान देने बलि बात है की इसके अंदर बहुत अधिक कठिन शब्द या अप्रचलित शब्दों का प्रयोग कभी न हो।
  5. संवाद के किरदार सामाजिक स्थिति से मिलते जुलते होने चाहिए । याद रखिये की अगर आप अनपढ़ या ग्रामीण किरदारों लेते है तो उसमे और शिक्षित पात्रों के संवादों मे अंतर रखना कभी आवयशक है।
  6. संवाद जिस भी स्थिति या विषय पर आप लिख रहे हो,उस विषय को आसानी से स्पष्ट या समझ मे आ जाना चाहिए मतलब अगर कोई उसे पढ़े तो उसे ये समझ आ जाना चाइये की किस विषय, वास्तु या किरदारों का जीकर किया गया है।
  7. संवाद लेखन में हँसी-मजाक करते हुए का भी जीकर काफी जरुरी होता है।
  8. संवाद लेखन के वक़्त संवाद को शुरू करने वाला का नाम या उसके किरदारों के बारे मे जीकर संवाद के स्टार्टिंग मे ही होना चाहिए।
  9. यदि संवाद के बीच आप कोई चित्र बदलते हो या फिर किसी नए किरदार का जीकर करते हो, तो उसका वर्णन हमेशा ही कोष्टक में करना आवश्यक है।
  10. संवाद लिखते समय किरदारों के हाव-भाव का जीकर भी, कोष्टक में लिखा होना जरुरी होता है।
  11. यदि संवाद लिखते वक़्त आपको लगता है की संवाद लेखन आपके काफी लम्बे चलने हैं और साथ ही साथ जगह भी बदलती है, तो उसे दृश्य एक, दृश्य दो करके संवाद मे मेंशन करना चाहिए।
  12. संवाद लेखन के अंत में वार्ता पर ध्यान देना जरुरी है इसलिए हमेशा ही संवाद मे वार्ता पूरी होनी जरुरी है।

काफी अच्छे संवाद लेखन(Dialogue Writing) की विशेषताए क्या होती है?

संवाद लेखन की मुख्य विशेषता निम्नलिखित है:-

  • संवाद हमेशा ही सरल भाषा में लिखा होना जरुरी है।
  • संवाद में भी प्रवाह ,साथ ही साथ क्रम और अर्थपूर्ण का विचार होने भी काफी आवश्यक माना गया है ।
  • संवाद हमेशा ही देश, और काल, और व्यक्ति और साथ ही साथ विषय के अनुसार लिखा होना जरुरी है। आप हमेशा ही एक बात का ध्यान रखे की संवाद में जीवन की जितनी ही अधिक चर्चा होगी, वह उतना ही अधिक अच्छा, सजीव, और अकृषक लगेगा।
  • संवाद लेखन मे हमेशा संवाद का आरम्भ और अन्त भी मजेदार होना चाहिए।
  • इन सब विशेषताएं को ध्यान मे रख कर ही छात्रों को संवाद कीह्ना चाहिए ताकि वे लोग जो संवाद लिख रहे है वे पेपर मे अच्छे अंक ला सके।

आखिर संवाद लेखन(Dialogue Writing का महत्व क्या है?

संवाद लेखन के मुख्य महत्व निम्नलिखित है-

संवादों के माध्यम से इंसान न केवल अपने मन की बात कह पाता है बल्कि साथ ही साथ अपने भावों को भी बेहतर तरीके संवाद लेखन कई एक्सप्रेस कर सकता है। या यु भी कहे सकते है की वह अपने दिल की बात भोत ही आसानी से संवाद लेखन मे लिख सकता है।

अगर बात की जाये की संवाद का जीवन मे खान महत्व है तो संवाद जीवन के हर पड़ाव पर महत्व पूर्ण है।इससे आप अपने छिपे हुए टैलेंट और ज्ञान का प्रदर्शन साथ ही साथ जानकारी भी काफी अच्छे से परधासन कर सकते है।

संवाद के जरिये ही आप अपना ज्ञान और अपना टैलेंट पूरी दुनिया मे बाँट भी सकते हो या यु कहो की सीखा भी सकते हो।
संवाद लेखन एक ऐसे विषय है जिसके जरिये आप अपनों को भी जान सकते हो और साथ मे ही नए लोगो से जान पहचान करने मे सक्षम हो सकते हो।

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