होली(Holi) का इंतज़ार आखिर कोण नहीं करता होगा साल मई एक बार आने वाले इस त्यौहार का सबको बेषवरी से इंतज़ार होता है। होली एक ऐसा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग मन सकते है वो भी पूरे उत्साह और मस्ती के साथ। वैसे तो आपको पता ही होगा की होली का त्यौहार हर धर्म, संप्रदाय, जाति सब ही लोग बना सकते है।
सरे बंधन खोलकर ही होली भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग होली मानते है अपने सरे पुराने गिले-शिकवे भूल जाते और फिर एक दूसरे को रंग लगते है। बच्चे इस त्यौहार का काफी ज्यादा एन्जॉय करते है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली को मनाया जाता है। अब होली क्यों बनाते है इसके पीछे भी काफी ज्यादा ही कथाये जुडी हुई है।
होली(Holi) मनाने के एक रात पहले होलिका दें किया जाता है। और आपको तो पता ही है की इसके पीछे भी कोई सारे लोकप्रिय कथाये जुडी हुई है।
नारसिंह भगवान के भक्त प्रह्लाद की कहानी तो आपने सुनी ही होगी की कैसे प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को ही भगवान समझने लग गए थे। हिरणकश्यप विष्णु भगवान के विरोधी थे जबकि हिरणकश्यप का पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के सबसे बड़े भक्त थे। इसी वजह से हिरणकश्यप द्वारा अपने पुत्र को विष्णु भक्ति की और जाने से मन किया गया लकिन जब प्रह्लाद नहीं माने तो उन्हें जाने से मरने की कोशिश की।
जब प्रह्लाद के पिता ने अपने पुत्र को ही मरने की कोशिश की तब उनकी माता ने इसका रोक किया तब हिरणकश्यप को अपनी भें होलिका की मदद लेनी पड़ी। और तो और होलिका को कभी आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था। होलिका भी अपने भाई की मदद करने के लिए त्यार हो गयी। होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि मे बैठ तो गयी अपने भाई के कहने पर लकिन खुद ही जल कर भस्म हो गयी और प्रह्लाद बच गए
यह कथा इस बात की और संकेत करती है की चाहे बुराई कितनी भी ही हो लकिन जीत हमेशा अच्छी की ही होती है। इस कथा को याद करके आज भी लोग होली का त्यौहार पूरणमासी के दिन मानते है, और अगले दिन भी सब लोग एक दूसरे पर गुलाल लगते है, चाहे वो अबीर हो या कोई और रंग। तभी तो इस त्यौहार को रंगो का त्यौहार बोलै जाता है।
इस दिन लोग प्रात:काल ही उठकर रंसबसे पहले अपने माँ और पिता को रंग लगते है और फिर उसके बाद ही रिश्तेदारो को। और फिर उनके साथ जमकर होली(Holi) भी खेलते हैं। बच्चों के लिए ये त्यौहार हमेशा ही महत्व रखता है। सारे बच्चे एक दिन पहले ही बाजार से अपने खेलने के लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे खरीद के लाते हैं। बच्चे पिचकारियों के बिना होली कभी मना ही नहीं पाए है।
सभी लोग इस दिन बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से गले लगते हैं। घरों में औरतें भी इस त्यौहार के एक दिन पहले से ही मिठाई, गुझिया आदि पकवान बनती हैं व अपने खास मेहमानो को आपस में बांटती हैं। आप लोगो ने कोई बार होली मे देखते ही होंगे की कई लोग होली मे टोली बनाकर निकलते हैं उन्ही टोली को हुरियारे कहते हैं।
आप कोई जगह ऐसे है जहां की होली(Holi) आप भूल नहीं सकते जैसे ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली यहां की होली पुरे भारत मे मशहूर है।
आज कल तो आप जानते ही होंगे की कुछ भी क्वालिटी का नहीं मिलता तो ऐसे मे अगर हम लोग रंग की बात करे तो वो तो बहुत दूर की बात है। और उसमे आधे से ज्यादा तो हमारे स्किन को नुक्सान पहुंचने वाले होते है। जबकि ऐसे गलत का बेचना कितना गलत है।इतने अचे त्यौहार पर भी लोग रासायनिक लेप व नशे आदि का इस्तेमाल करते है ।
बच्चों को इस चीज़ का ध्यान रखना चाहिए। युवा बच्चों को होली(Holi) मे बड़ो के सामने होली मनानी चाहिए। बच्चों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए काफी दूर से गुब्बारे फेंकने से आंखों में भी लग्ग सकती है और इससे घावों भी बन सकते है। रंगों को हमेशा ही आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से भी रोकना चाहिए। और इस फेस्टिवल को हमेशा मिल जुलकर मानना चाहिए।
होली(Holi) त्यौहार का महत्व क्या है
होली को हर साल बसंत ऋतु में मनाया जाता है यानि मार्च (फ़ागुन) के महीने में पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है। इस साल होली 8 मार्च 2023 को मनाई जायेगी। होली के दिन ही केवल चुटहि मिलती है होलिका के लिए नहीं मिलती है। होली के एक दिन पहले लकड़ी की होलिका बना कर होलिका दहन किया जाता है और उसके बाद ही दूसरे दिन होली बड़े ही धूम धाम से मनाई जाती है।
होली(Holi) के दिन बच्चे ढोलक और रंग ले कर होली मनाने के लिए घर-घर भी जाते हैं। बच्चों को अपने रिश्तेदारों से पैसे भी मिलते है। होली की तैयारियों में भी लोग कोई दिन पहले से लग जाते है सभी लोग अपने रिश्तेदारों के घर मिठाइयां और रंगों को साथ जाते है। इस दिन सभी लोग अपनी हीन भावनाओं को भूल कर सब से मिलते जुलते है।
होली(Holi) का त्यौहार भारत के अलावा भी कई और देशों जैसे – कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश आदि देशों में भी सेलिब्रेट किया जाता है। हर साल होली मार्च के महीने में ही आती है लकिन अलग-अलग तिथि पर आती है।
होली(Holi) के हानिकारक प्रभाव क्या है
Holi का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर से होता है क्यूंकि ये त्यौहार साल मे एक ही बार आता है। लेकिन कई बार कुछ लोगो को होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं का सामना भी करना पड़ता है। लोगों द्वारा होली(Holi) के दिन केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग न कर के गुलाल का प्रयोग करना चाहिए। जिससे चेहरा खराब भी न हो।
कई लोग मादक पदार्थों का सेवन करते है व भांग मे नशे का सेवन करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का भी शिकार हो जाते हैं। ऐसे ही होली(Holi) के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें।