जानिए समास (Samas) क्या हैं? | समास के प्रकार, भेद की सम्पूर्ण जानकारी उदाहरण के साथ

समास क्या है परिभाषा? | समास किसे कहते हैं और उसके कितने भेद हैं? | समास कितने प्रकार के होते हैं? | समास के कितने भेद होते हैं उदाहरण सहित बताइए | Samas in Hindi | What is Samas in Hindi?

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Hello! दोस्तों आप सभी का MyHindiWeb पर हार्दिक स्वागत हैं। दोस्तों आज हम इस पोस्ट में समास (Samas in Hindi) के बारे में जानेगे की की समास किसे कहते है? और समास कितने प्रकार के होते हैं?

समास हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय हैं। समास से सम्बंधित प्रश्न हर साल 10वी और 12वी कक्षा के एग्जाम में पूछे जाते हैं। इसके अलावा जितने भी competitive exams होते है, उसमे लगभग समास के प्रश्न जरूर आते हैं।

इसलिए इसके बारे में जानना आवश्यक हो जाता है, तो आइये जानते है समास के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।

Table of Contents

समास (Samas) क्या हैं?

दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से नए शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं।

जैसे :-  ‘राजा का पुत्र’ का समास – ‘राजपुत्र’ हो जाता हैं।

यहाँ राजा और पुत्र मिलकर एक नया पद ‘राजपुत्र’ बन गया हैं। तथा ‘का’ (बीच की विभक्ति) का लोप हो गया हैं।

समास शब्द का अर्थ क्या हैं?

समास शब्द का अर्थ हैं-संक्षिप्तीकरण” अर्थात समास होने पर शब्दों के बीच  की  विभक्तियाँ  तथा  योजक शब्द  और अथवा आदि का लोप हो जात्ता है। 

समास की विशेषताएँ क्या हैं?

  1. समास में दो पदों का योग होता हैं।
  2. दो पद मिलकर एक नए पद का रूप धारण कर लेते है।
  3. समस्तपद में पहले पद को पूर्व पद तथा बाद के पद को उत्त्तर पद कहते हैं।
  4. दो पदों के बीच विभक्तियों का लोप हो जाता हैं; जैसे-
पूर्व पद+उत्त्तर पद=समस्तपद
रसोई+(के लिए) घर=रसोईघर
ग्राम+(को) गत=ग्रामगत
जल+(में) मग्न=जलमग्न

समास-विग्रह प्रक्रिया क्या होती है?

समस्तपद के पदों को अलग-अलग करने के क्रिया को समास-विग्रह कहते है; जैसे-

  • शोकाकुल = शोका से आकुल
  • प्रयोगशाला = प्रयोग के लिए शाला

समास के कितने भेद हैं?

समास के मुख्यत रूप से कुल छह भेद हैं।

(1) अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)
(2) तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)
(3) द्विगु समास (Dvigu Samas)
(4) द्वंद्व समास (Dvandva Samas)
(5) कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)
(6) बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)

अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas) किसे कहते है?

Avyayibhav Samas – जिस समास में पहला पद अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते है। इसका पूर्व पद अव्यय तथा प्रधान होता है। पूर्व पद अव्यय होने के कारण समस्तपद भी अव्यय होता है। हाँ, इसका उत्त्तर पद संज्ञा या विशेषण जरूर होता हैं।

अव्ययीभाव समास के उदाहरण 

समस्तपदविग्रह 
भरपेटपेटभर कर
बखूबीखूबी के साथ
प्रतिवर्षहर साल
प्रतिक्षणहर क्षण
प्रतिमाहहर महीने
प्रतिदिनहर दिन
अनजानेबिना जाने
प्रत्यक्षआखो के सामने
बेकामबिना काम के
निस्संदेहबिना संदेह के
यथाशक्तिशक्ति के अनुसार
यथारुचिरूचि के अनुसार
यथानियमनियम के अनुसार
यहविधिविधि के अनुरूप
यथासंभवजैसा संभव हो
आसमुंद्रसमुंद्र पर्यत
आमरणमरण तक
आजीवनजीवन भर
अजन्माबिना जन्मे

तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) किसे कहते हैं?

जिस समास का उत्त्तर पद प्रधान तथा पूर्व पद गौण होता हैं, और पहले पद के साथ विभक्ति का लोप होता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।

विभक्तियों के आधार पर तत्पुरुष समास  के भेद 

  1. कर्म तत्पुरुष
  2. करण तत्पुरुष
  3. संप्रदान तत्पुरुष
  4. अपादान तत्पुरुष
  5. संबंध तत्पुरुष
  6. अधिकरण तत्पुरुष

(1) कर्म तत्पुरुष

कर्म तत्पुरुष – जिस सामासिक शब्द के पूर्व में कर्म कारक की विभक्ति -‘को’ का लोप हो वह कर्म तत्पुरुष समास होता हैं।

कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण 
समस्तपदविग्रह
माखनचोरमाखन को चुराने वाला
परलोकगमनपरलोक को गमन
यशप्राप्तयश को प्राप्त
स्वर्गप्राप्तस्वर्ग को प्राप्त
देशगतदेश को गया हुआ
ग्रामगतग्राम को गया हुआ
मृत्युप्राप्तमृत्यु को प्राप्त

(2) करण तत्पुरुष 

जिस सामासिक शब्द के पूर्व पद के करण कारक की विभक्ति ‘से’, ‘के द्वारा’ का लोप हो वह करण तत्पुरुष समास होता हैं।

करण तत्पुरुष समास के उदाहरण 
समस्तपदविग्रह
मुँहमाँगीमुँह से माँगी
रसभरीरस से भरी
पदललीतपद से ललित
भुखमराभूख से मारा
सुररचितसूर के द्वारा रचित
तुलसीकृततुलसी के द्वारा किया हुआ
हस्तलिखितहाथ से लिखा हुआ

(3) संप्रदान तत्पुरुष 

जिस समास के समस्तपद के साथ ‘को’, ‘के लिए’ विभक्ति का लोप हो, उसे संप्रदान तत्पुरुष समास कहते हैं।

संप्रदान तत्पुरुष समास के उदाहरण 
समस्तपदविग्रह
गौशालागायों के लिए शाला
गुरुभक्तिगुरु के लिए भक्ति
गुरुदक्षिणागुरु के लिए दक्षिणा
देश भक्तिदेश के लिए भक्ति
मालगोदाममाल के लिए गोदाम
राहखर्चराह के लिए खर्च
रसोईघररसोई के लिए घर
जेबख़र्चजेब के लिए खर्च

(4) अपादान तत्पुरुस 

जिस समास के पूर्व पद में अपादान कारक के विभक्ति चिह्न ‘से (अलग)’ का लोप होता है, उसे अपादान तत्पुरुस समास कहते हैं।

अपादान तत्पुरुस समास के उदाहरण
समस्तपदविग्रह
अनुभवहीनअनुभव से हीन
गुणहीनगुण से हीन
बलहीनबल से हीन
लक्ष्यभ्रष्टलक्ष्य से भ्रष्ट
धर्मभ्रष्टधर्म से भ्रष्ट
पथभ्रष्टपथ से भ्रष्ट

(5) संबंध तत्पुरुस 

जिस समास के पूर्व पद में संबंध कारक के विभक्ति चिह्न ‘का’, ‘की’, ‘के’ का लोप होता है, उसे संबंध तत्पुरुस कहते हैं।

संबंध तत्पुरुस समास के उदाहरण 
समस्तपदविग्रह
राजपुत्रराजा का पुत्र
राजनेताराज्य का नेता
राजसभाराजा की सभा
राजभक्तिराज्य की भक्ति
रामभक्तराम का भक्त
पराधीनपर के आधीन
सेनानायकसेना का नायक
दिनचर्यादिन की चर्या
जलधाराजल की धारा

(6) अधिकरण तत्पुरुस 

वह समास जिसके पूर्व पद से अधिकरण कारक का विभक्ति चिह्न ‘में’, ‘पर’ का लोप होता हो, उसे अधिकरण तत्पुरुस कहते हैं।

अधिकरण तत्पुरुस समास के उदाहरण 
समस्तपदविग्रह
नरोत्तमनरों में उत्तम
गृहप्रवेशगृह में प्रवेश
डिब्बाबंदडिब्बे में बंद
जगबीतीजग पर बीती
आपबीतीस्वयं पर बीती
रणवीररण में वीर
आंदमग्नआनंद में मग्न
कर्मवीरकर्म में वीर
जलमग्नजल में मग्न

द्वंद्व समास (Dvandva Samas) किसे कहते हैं?

जिस समास में दोनों पद प्रधान हों तथा विग्रह करने पर दोनों के बीच ‘और’ या ‘तथा’, ‘अथवा’ जैसे योजकों का प्रयोग हो उसे द्वंद्व समास कहते हैं।

द्वंद्व समास होने पर इन पदों के बीच ‘और’, ‘या’, ‘अथवा’ का लोप होता हो जाता है जैसे :-

द्वंद्व समास के उदाहरण  

समस्तपदविग्रह
देश-विदेशदेश और विदेश
मान-अपमानमान और अपमान
आना-जानाआना और जाना
माता-पितामाता और पिता
सुख-दुःखसुख और दुःख
रात-दिनरात और दिन
अपना-परायाअपना और पराया
पाप-पुण्यपाप और पुण्य
नर-नारीनर और नारी
गंगा-यमुनागंगा और यमुना
जन्म-मरणजन्म और मरण
घी-शक्करघी और शक़्कर
दाल-भातदाल और भात
यश-अपयशयश और अपयश

कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) किसे कहते हैं?

जिस समास में एक पद विशेषण तथा दूसरा विशेष्य हो अथवा एक उपमान और दूसरा उपमेय हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।

विशेषण-विशेष्य कर्मधारय समास

समस्तपदविग्रह
महाजनमहान है जो जन
महात्मामहान है जो आत्मा
महाराजमहान है जो राजा
नीलकमलनीला है जो कमल
नीलगगननीला है जो गगन
नीलांबरनीला है जो अंबर
पीताम्बरपीला है जो अंबर

उपमान-उपमेय कर्मधारय समास

समस्तपदविग्रह
कमलनयनकमल जैसे नयन
कुशुमकोमलकुशुम जैसे कोमल
घनश्यामधन के समान श्याम
मुखचन्द्रमुख रूपी चंद्र
करकमलकमल के समान कर
मृगलोचनमृग जैसे लोचन

बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) किसे कहते हैं?

जिस समास में पूर्व एवं उत्त्तर पद दोनों ही प्रधान नहीं होते हैं। तथा समस्तपद किसी तीसरे पद की ओर संकेत करता हैं, वह बहुव्रीहि समास होता हैं।

जैसे:- नीलकंठ का विग्रह है- नीला हैं कंठ जिसका अर्थात शिवजी। यहाँ न ‘निल’ प्रधान है और न ‘कंठ’ प्रधान हैं। ये दोनों ही पद मिलकर तीसरे पद ‘शिव’ के लिए प्रयुक्त हो रहा है।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण  

समस्तपदविग्रह
बारहसिंगाबारह सींग है जिसके अर्थात् एक विशेष प्राणी।
त्रिवेणीतीन नदियों का संगम स्थल अर्थात् प्रयागराज।
मेघनादमेघ के समान गर्जना करता है जो अर्थात् रावणपुत्र।
निशाचररात को भ्र्मण करता हैं जो अर्थात् राक्षक।
अंशुमालीअंशु (किरणे) है माला जिसकी अर्थात् सूर्य।
महावीरमहान वीर है जो अर्थात् हनुमान।
पद्मासनापदम् (कमल) आसान है जिसका अर्थात् सरस्वती।
चंद्रशेखरचंद्रमा है शेखर (माथे) जिसके अर्थात् शिवजी।
दिगंबरदिशाएँ ही अंबर (वस्त्र) है जिसका अर्थात जैन मुनि।
चतुर्भुजचार भुजाएँ है जिसकी अर्थात् विशेष आकृति।
गिरिधरगिरी को धारण करता है जो अर्थात् श्री कृष्णा।
चक्रधरचक्र को धारण करता है जो अर्थात् श्री कृष्णा।
पीतांबरपीत अंबर धारण करता है जो अर्थात् श्रीकृष्ण।
लंबोदरलंबा है उदर जिसका अर्थात् गणेश जी।
मुरलीधरमुरली को धारण करता हैं जो अर्थात् श्रीकृष्ण।
घनश्यामघन (बादल) के समान श्याम है जो अर्थात् श्रीकृष्ण।
गजाननगज के समान आनन है जिसका अर्थात् गणेश जी।
महादेवमहान है जो देव् अर्थात् शिवजी।
कैलाशपतिकैलाश पर्वत का स्वामी है जो अर्थात् शिवजी।

द्विगु समास (Dvigu Samas) किसे कहते है?

जिस समास का पहला पद संख्यावाची हो, उसे द्विगु समास कहते हैं।

द्विगु समास के उदाहरण 

समस्तपदविग्रह
एकपदीएक पद वाला
दोराहादो रहो का समाहार
दोपहरदोपहरों का समाहार
तिरंगातीन रंगो का समाहार
त्रिफ़लातीन फलो का गुच्छा
त्रिकोणतीन कोणों वाला आकृति
त्रिलोकतीन लोकों का देवता शिवजी
पंचभुजापाँच भुजाओ वाला
पंजाबपांच आबो का समूह
अष्टधातुआठ धातु का समूह
नववर्षनव रसों का समाहार

द्विगु समास और बहुब्रीहि समास में अंतर

द्विगु समास (Dvigu Samas)बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)
द्विगु समास का पहला पद संख्यावाचक होता हैं।बहुव्रीहि समास का समस्तपद किसी तीसरे पद की ओर संकेत करता है।
जैसे:- दशानन (दस आनन है जिसके अर्थात रावण। )जैसे:- सप्तपदी (सप्त पदों का समाहार)

कर्मधारय समास और बहुब्रीहि समास में अंतर

कर्मधारय समासबहुब्रीहि समास
कर्मधारय समास के दोनों पदों में विशेषण – विशेष्य या उपमेय – उपमान का संबंध होता हैं।जबकि बहुव्रीहि समास के दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत करते हैं।
जैसे:- महात्मा = महान+आत्मा, इसमें ‘आत्मा’ विशेष्य है और पहला पद ‘महान’ है विशेषण।जैसे:- महात्मा = महान है जिसकी आत्मा, इसमें दोनों ही पद प्रधान नहीं है, बल्कि दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर सकते दे रहे हैं।

समास पहचानने की ट्रिक 

समास को पहचानने की ट्रिक:- दोस्तों अक्सर एग्जाम में एक शब्द दे दिया जाता है और आपसे पूछा जाता है की इस शब्द में कौन सा समास है बताइये? तो इसी की ट्रिक हम आपको नीचे दी गई तालिका में बतायेंगे। एग्जाम की दृष्टि से यह ट्रिक आपको जानना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्योकि आपको एक शब्द दे दिया जायेगा जिसके चार विक्लप होंगे आपको उनमे से एक सही समास का चनाव करना होता हैं।

समास समास को पहचानने की ट्रिक 
(1) अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)जिन शब्दों के प्रारम्भ में उपसर्ग जुड़े हों।

[यथा, प्र, प्रति, निर, आ, अन, भर]

जैसे:- यथाशक्ति, प्रतिदिन, भरपेट

(2) तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)समास को अलग करने पर बीच में का, की, को, के लिए, में, पर, से निकलें।

जैसे:- रंगमंच, वनवास, नेत्रहीन

(3) कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)शब्द की दूसरे पद की विशेषता बताई जाती हैं।

[आप ‘कैसे’ लगाकर देखो, यदि उत्तर मिल जाये तो वहां कर्मधारय समास होगा]

जैसे:- मृगनयन (दूसरा पद नयन है, अब ‘कैसे’ लगाकर देखो – नयन कैसे हैं? -मृग के समान।

(4) द्वंद्व समास (Dvandva Samas)जिन शब्दों में योजक का चिन्ह (-) लगा हो या विग्रह करने पर और आये।

जैसे:- लेन-देन (लेन और दीन), माता-पिता (माता और पिता)

(5) द्विगु समास (Dvigu Samas)इस  समास में पहला पद से किसी संख्या या समूह का बोध होता हैं।

जैसे:- पंचवटी, नवग्रह

(6) बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)इसमें देवी, देवतावों के नाम, पर्यावाची शब्द समूह के लिए एक शब्द आता हैं।

जैसे:- त्रिनेत्र, लंबोदर, मुरलीधर

समास पर बहुविकल्पीय प्रश्न-प्रपत्र 

(1) ‘अंशुमाली’ में समास हैं –

  • अव्ययीभाव समास
  • द्विगु समास
  • द्वंद्व समास
  • बहुव्रीहि समास

(2) ‘पर्वतरोही’ का विग्रह होगा –

  • पर्वत पर रहने वाला
  • पर्वत पर घर है जिसका
  • पर्वत पर चढ़ने वाला
  • पर्वत और आरोही

(3) ‘हस्तलिखित’ में समास होगा –

  • कर्मधारय समास
  • तत्पुरुष समास
  • द्वन्द समास
  • द्विगु समास

(4) ‘अष्टाध्यायी’ में विग्रह होगा –

  • आठ जैसे अध्याय
  • आठ और अध्याय
  • आठ के अनुसार अध्याय
  • आठ अध्यायों का समूह

(5) ‘ऋणमुक्त’ का विग्रह होगा

  • ऋण और मुक्त
  • ऋण के द्वारा मुक्ति
  • ऋण से मुक्त
  • ऋण के अनुसार मुक्ति

(6) ‘स्वर्णकमल’ में समास होगा –

  • कर्मधारय समास
  • द्विगु समास
  • तत्पुरुषसमास
  • अव्ययीभाव समास

(7) ‘यश-अपयश’ मे समास का नाम है –

  • अव्ययीभाव समास
  • द्विगु समास
  • अव्ययीभाव समास
  • तत्पुरुष समास

(8) ‘रसोईघर’ का उपयुक्त विग्रह होगा –

  • रसोई में घर
  • घर में रसोई
  • रसोई के लिए घर
  • रसोई जैसा घर

(9) ‘आजीवन’ में समास है –

  • अव्ययीभाव समास
  • द्विगु समास
  • बहुव्रीहि समास
  • कर्मधारय समास

(10) ‘धनहीन’ शब्द में समास का नाम हैं –

  • बहुव्रीहि समास
  • अव्ययीभाव समास
  • अपादान तत्पुरुष समास
  • द्वंद्व समास

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