Speech on Pongal In Hindi | पोंगल पर भाषण

पोंगल पर भाषण | Speech on Pongal In Hindi

प्रिय सभी उपस्थित महानुभाव, मान्यवर और प्रियजनों,

Advertisement

Speech on Pongal In Hindi:- मैं आज यहां खड़ा हूँ ताकि मैं आपको एक विशेष और महत्वपूर्ण त्योहार, ‘पोंगल’ के बारे में बता सकूँ। पोंगल, भारत के तमिलनाडु राज्य का एक प्रमुख पर्व है, जिसे वहां के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। यह एक अद्भुत तरीके से बोझा गया होता है और हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजन होता है।

पोंगल का यह त्योहार एक बड़े धान किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रकार से जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह धान की खेती के लिए धन्यता व्यक्त करने का एक तरीका होता है। इसे धन्यवाद और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और लोग इसे धान की माता के साथ जोड़कर मनाते हैं। यह त्योहार भारतीय समृद्धि, सशक्ति, और सामर्थ्य की प्रतीक है, और हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने खेतों के लिए कितने ही कठिन परिश्रम की आवश्यकता है।

पोंगल त्योहार का आयोजन चित्तिराई महीने के अंत में किया जाता है, जब हमारे खेतों में धान पकता है। इस त्योहार के अवसर पर हम धान के पकने का स्वागत करते हैं और उसे सबसे बड़े उत्सव के रूप में मनाते हैं। इसके अलावा, पोंगल एक चित्रण होता है कि हमें प्रकृति के साथ हमेशा मेल जोल रखना चाहिए और हमें धान के रूप में कितना महत्वपूर्ण अन्न द्वारा जीवन यापन करना चाहिए।

पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है, और प्रत्येक दिन को विशेष रूप से ध्यानपूर्वक और उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

पहला दिन: भोगि पोंगल – पहले दिन को “भोगि पोंगल” कहा जाता है, जिसमें लोग अपने घरों को सजाते हैं और उनकी सफाई करते हैं। इस दिन वस्त्र, गहनों और अन्य वस्तुओं को नए रूप में पहना जाता है, जिससे एक नया और नयी उम्मीदों भरा आरंभ होता है।

दूसरा दिन: सूर्य पोंगल – दूसरे दिन को “सूर्य पोंगल” कहा जाता है, जो सूर्य देवता को समर्पित होता है। इस दिन, लोग अपने खेतों में धान की पूजा करते हैं और सूर्य देवता का आभास किया जाता है, क्योंकि सूर्य हमारे लिए जीवन का स्रोत है। धान को पकने के बाद, वे एक बड़े खिलौने जैसे पोंगल की तरह दिखने वाले विशेष पकवान बनाते हैं, जिसे हम “पोंगल” कहते हैं। इस पोंगल को सूर्य देवता की प्रसाद माना जाता है और यह खास तौर पर धान किसानों के लिए महत्वपूर्ण होता है।

तीसरा दिन: मट्टु पोंगल – तीसरे दिन को “मट्टु पोंगल” कहा जाता है, जिसमें धान की पकने के बाद किया गया खास व्यंजन होता है। इसका मुख्य तत्व मट्टू (गुद) होता है, जिसे दुग्ध और चक्की के आटे के साथ मिलाकर बनाया जाता है। यह भोजन खासतर स्त्रीओं द्वारा बनाया जाता है और इसका आनंद परिवार के साथ बिताने में लिया जाता है।

चौथा दिन: काणुम पोंगल – अंत में, चौथे दिन को “काणुम पोंगल” के नाम से मनाया जाता है, जिसमें धान के पकने का आभास किया जाता है और वह अपने खेतों के लिए धन्यवाद देते हैं। इस दिन लोग अपने पशुओं को भी पूजते हैं, क्योंकि यह पशुओं का भी महत्वपूर्ण दिन होता है।

पोंगल का यह त्योहार धर्म, संस्कृति, और समृद्धि की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने खेतों और प्रकृति के साथ मेल जोल रखना चाहिए। इसके साथ ही, यह एक विशेष मौका प्रदान करता है कि हम सभी एक साथ मिलकर खुशियों का संगठन कर सकते हैं और हमारे परिवारों और समाज को मजबूती और एकता का अहसास दिला सकते हैं।

धन्यवाद!

ये भी पढ़े:-

Also Read:- पोंगल पर भाषण Speech on Pongal In Hindi

Read More:- “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” Beti Bachao Beti Padhao Par Nibandh

Leave a Comment